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स्वाइन फ्लू से बचने के 8 तरीके। H1N1 फ्लू

स्वाइन फ्लू से कैसे बचा जा सकता है, स्वाइन फ्लू क्या है, स्वाइन फ्लू कैसे होता है, और स्वाइन फ्लू से बचने के तरीके क्या है ये सब चीजों पर आज मैं इस ब्लॉग मे महत्व पूर्ण जानकारी देने वाला हू। ये स्वाइन फ्लू के लिए एक इन्फोरमेटीव ब्लाग है, जिससे आप स्वाइन फ्लू से बचने के लिए अपने आप को अपडेट कर सकते हैं।

स्वाइन फ्लू से बचने के 8 तरीके। H1N1 फ्लू

1. स्वाइन फ्लू क्या है ?

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स्वाइन फ़्लू एक प्रकार का इन्फ्लूएंजा है, एक वायरस जो इन्फ्लूएंजा का अधिक गंभीर प्रकार है, और इसकी उत्पत्ति सूअरों से होती है। तो 2009 का पैडनैमिक वायरस सूअरों से पक्षियों और मनुष्यों से आनुवंशिक खंडों का मिश्रण था।

यह वाकई एक गंभीर संक्रमण है. उदाहरण के लिए 2009 में – गंभीरता वास्तव में खराब मौसमी फ्लू वर्ष के समान थी। लेकिन हमने देखा कि सामान्य सीज़न में मृत्यु की गंभीर आयु 53 वर्ष थी।

इसलिए हम बहुत कम उम्र के लोगों को मरते हुए देख रहे थे, और हम गहन चिकित्सा देखभाल और अस्पताल के बिस्तर भरे हुए देख रहे थे।

2 स्वाइन फ्लू कैसे होता है ?

स्वाइन फ्लू का नाम स्वाइन फ्लू इसलिए पड़ा क्योंकि ये आम तौर पर सुवरों में पाया जाता है। स्वाइन फ्लू के शुरुआती मामले 2009 में मेक्सिको में देखे गए थे। और तब से अब तक संक्रमण ने 100 से अधिक देशों को अपनी चपेट में लिया है। शुरुआत में ही माना जा रहा था कि इसके संक्रमण मे सुवरों की भूमिका होती है, लेकिन बाद में पाया गया कि, ये इंसान से इंसान के बीच भी फैलता है। खास तौर पर खासने या छींकने से । आम तौर पर होने वाला जुकाम भी H1N1 से ही होता है, लेकिन स्वाइन फ्लू H1N1 के खास किस्म से संक्रमित होने की वज़ह से होता है।

3. स्वाइन फ्लू से बचने के 8 तरीके।

स्वाइन फ्लू से बचाव के लिए निम्नलिखित कदम उठाए जा सकते हैं:

1. वैक्सीनेशन:

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स्वाइन फ्लू के लिए वैक्सीन उपलब्ध है, जो इसके खिलाफ सुरक्षा प्रदान करता है।

स्वाइन फ्लू को ठीक करने का सबसे बेहतर कोई तरीका है तो वो है स्वाइन फ्लू का वैक्सीन। स्वाइन फ्लू का वैक्सीन 6 महीने के आयु वाले सभी लोग ले सकते है। इसमे दो राय नहीं है कि वैक्सीन लेना एक अच्छा सुझाव है,

क्योंकि ये आपको स्वाइन फ्लू से संक्रमित होने से बचाने मे मदद कर्ता है। आपके परिवार को और दूसरे लोग जो आपके करीब है उनको भी स्वाइन फ्लू होने से बचाता है। आपको आनेवाले अगले सीझन से भी बचाव कर्ता है। इसलिए खुद वैक्सीन लगवाये और दोस्तों और परिवार वालों को वैक्सीन लगवाने कहिये।

जिनको स्वाइन फ्लू के होते काॅम्प्लीकेशन होने की संभावनाएं ज्यादा है, ऐसे हाई रिस्क वाले लोगों को वैक्सीन लगवाना बहोत जरूरी है। जिसमें फ्लू पेशेंट के साथ रहने वाले लोग, हॉस्पिटल स्टाफ, और वो लोग जो लंबे समय से बीमार है, हार्ट पेशेंट, दमा के मरीज़, जिसका लिवर खराब है, जिनको डायबिटीज़ है, जिनकी ईम्यूनीटी कम है, और प्रेग्नेंट महिलाये ईन सब का समावेश होता है।

वैक्सीन लेने का सही वक़्त कौनसा होता है ?

फ्लू का सीजन आमतौर पर नवंबर में शुरू होता है, और आपको स्वाइन फ्लू फैलने से पहले ही वैक्सीन ले लेनी है। स्वाइन फ्लू की वैक्सीन एकबार लेने के 2 हफ्ते बाद ठीक से काम करना शुरू करेगी। इसलिए सेंट्रल फॉर डीजीस कंट्रोल यानी CDC रि कनेक्ट करती है कि आप ऑक्टोबर महीने के एंड पर यानी आखरी हफ्ते वैक्सीन लेले। अगर आप इसके बाद भी लेते है, तो भी ये वैक्सीन आपको पूरे सीजन बचाए रखेगी स्वाइन फ्लू से। 10 साल या उससे ज्यादा आयु के लोगों को, 1 टीका लगता है, और 6 महीने से 9 साल के आयु के बच्चों को 2 टीके लगते है।

2. हाथ धोना:

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बार-बार साबुन और पानी से हाथ धोना या हैंड सैनिटाइज़र का उपयोग करना। बिना धुले हाथ, या आख, नाक, कान या फिर मुह छूने से आपको स्वाइन फ्लू होने की संभावनाएं बढ़ जाती हैं। इसीलिए खयाल रखे कि कभी भी खाना खाने से पहले या कहीं बाहर जाने के बाद कहीं पर भी हाथ न लगाए, ये हो सकता है कि किसी स्वाइन फ्लू संक्रमित व्यक्ति का उस चीज़ से संपर्क हुआ हो। और अगर आपने वो चीज़ छू ली तब आपको स्वाइन फ्लू संक्रमित कर सकता है। क्यूँ की हम अपने चेहरे को या हाथो को छूते है, बाहर कोई चीज़ खाते हैं, जैसे कि फास्ट फूड, तो उस समय अगर हाथ नहीं धोए, तो बॅक्टेरीया आपको अपने चपेटे में बड़ी आसानी से ले सकते है।

3. मास्क पहनना:

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वायरस ईन एंड वायरस आउट जब वायरस आपके अंदर जा रहा है उसे बोलते हैं वायरस ईनॲक्यूलम, जितना ज्यादा वायरस आपके अंदर जाएगा उतना सिवीयर निमोनिया करेगा। अगर आपने मास्क पहन रखा है,

या तो वायरस नहीं जायगा, और अगर जाएगा तो कम होके जाएगा। आपके वायरस की जो डोसे है जो अंदर जा रही है वो कम हो जाएगी। वायरस ईनॲक्यूलम कम होगा आपको या तो इन्फेक्शन नहीं होगा, होगा तो हल्का होगा। यानी के मिड इन्फेक्शन होगा। लेकिन जब आपके अंदर वायरस आयेगा वो मल्टीप्लाइ करेगा। और आपका वायरस जो बन रहा है वो मिलियन मे बनेगा। तो आपके अंदर तो इन्फेक्शन तो बहुत कम हुआ, सिवीयारीटी कम हुई, लेकिन आपके मुह से वायरस बाहर जा रहा है वो बहोत ज्यादा हो सकता है। इसका मतलब अगर आप बाहर गए आपने बाहर मास्क पहना, आप मार्केट गए, सब्जी खरीदने गए, दुकान मे गए, ऑफिस में गए,

आप मेट्रो मे गए और आते हुए अगर आपने ये सिंटेंमैटिक इन्फेक्शन कैच कर लिया और आप घरमें आए। घर मे आपके 9 लोग है। फिर आपने मास्क उतर दिया। और अगर आपने मास्क उतार दिया तो आप सब को दे देंगे घर में। और उन्होंने मास्क नहीं पहना होगा तो उनकी बीमारी आपसे ज्यादा गंभीर हो सकती है। तो अक्सर हमने देखा है कि, घर के अंदर जो सबसे पहले ईन्फेक्ट होता है, जो आदमी इन्फेक्शन देता है उसको इस बीमारी के कुछ लक्षण दिखाई देने लगते है। और अगर वो उसके बाद भी घर में मास्क नहीं पहनता तो धीरे धीरे सब को अपने चपेटे में ले लेता है।

4. सामाजिक दूरी बनाए रखना:

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अन्य लोगों से कम से कम 6 फीट की दूरी बनाए रखना।स्वाइन फ्लू या उसके जैसे कोई भी वायरस से लड़ने के लिए जितना मास्क पहनना जरूरी है, उतना ही जरूरी है सामाजिक दूरी। ज्यादा भीड़ वाली जगह पर हर तरह के लोग होते हैं। उन लोगों मे से किसी को स्वाइन फ्लू के लक्षण हो सकते हैं, और उसके पास जाने से शायद आपको भी वो संक्रमण मिल सकते है।

तो जितनी भी भीड़ वाली जगह है, जैसे कि मार्केट, रेल्वे स्टेशन, बस स्टॉप, मेट्रो स्टेशन इस जैसी जगह पर सामाजिक दूरी रखने से आप खुदको स्वाइन फ्लू के वायरस से बचा सकते है।

5. स्वस्थ आदतें:

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अपने आप को स्वस्थ आदतें लगाए। जिनमे शामिल है, पर्याप्त नींद लेना, ये बात काफी जरूरी है कि आप पर्याप्त नींद ले, जैसे कि सब जानते है, जब हम नींद लेते है तब हमारा शरीर खुद को रीपैर कर्ता है। वो एनर्जी स्टोर कर्ता है, आपका दिमाग शांत कर्ता है,

बॉडी को रीलॅक्स कर्ता है। खाना पचाने मे मदत होती है , आपकी ईम्यूनीटी सिस्टीम ठीक होती है, सारा स्टेस कम होता है। दूसरी आदत है संतुलित अहार खाना, अगर देखा जाए तो हमारा खाना ही हमे जिंदा रखता है, पर खाना तो सब कहते है मगर सबको पर्याप्त मात्रा में प्रोटीन, विटामिन और mineral नहीं मिल पाते। क्यूँ की बाहर का खाना लोग आजकल ज्यादा पसंद करते हैं, वो खाना ज्यादा माल मसाला दल के बनाया हुआ होता है, बहुत सी चीजें ऐसी होती हैं वो खाने में अगर उन चीजों को थोड़ा ज्यादा खाले तो शरीर मे बहोत सारी समस्याएं हो सकती है, इससे अछा है कि संतुलित अहार खाए। इससे स्वस्थ भी ठीक रेहता है और हाजमा और ईम्यूनीटी भी बनी रहती है।

तीसरी चीज़ है नियमित व्यायाम करना, व्यायाम के फायदे तो सभी जानते ही है, पर 60% लोग व्यायाम नहीं कर पाते, इसका नतीजा ये होता है कि, इनकी ईम्यूनीटी कमजोर होती हैं, जो खाना आप खाते है उसका पूरा प्रोटीन आपको नहीं मिल पाता, आपका शरीर कमजोर हो जाता है, और स्वाइन फ्लू जैसे वायरस आपको आसानी से इन्फेक्ट कर सकती है। तो ये स्वास्थ आदतें अपने आप को लगाये, और अपने आपको ऐसी बीमारियों से बचाये।

6. जानवरों से संपर्क में सावधानी:

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जानवरों से संपर्क मे सावधानी बारतिये , अगर आपके घर मे पालतू जानवर है, जैसे कुत्ते, बिल्ली, तो ये जानवर भी इधर उधर जाते हैं, दूसरों के घर पर जाते हैं, और जानवरों के संपर्क मे आते हैं। तो अगर आपके घर मे किसी को स्वाइन फ्लू नहीं है, पर जिसके घर पर आपके घर का कुता या बिल्ली जाते है, हो सकता है कि उनके घर पर कोई स्वाइन फ्लू से इन्फेक्टेड हो, और उस इन्फेक्टेड व्यक्ती के संपर्क मे उस घर के कोई पालतू जानवर आते हैं तो वो वायरस उस जानवर को भी मिलेगा।

और आपका पालतू जानवर उस घर के पालतू जानवर से मिलेगा तो वो आपके घर पर बीमारी लेकर आ सकता है। आप दिनभर तो अपने पालतू जानवरों पर नजर जमा कर बैठ नहीं सकते। पर आप अपने आपको उनके संपर्क मे आने से रोज सकते हो।

7. घर की स्वच्छता:

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नियमित रूप से घर की स्वच्छता बनाए रखना बहुत जरूरी है, और सतह को साफ करना , क्यूँ की घर पर कुछ जगह ऐसी होती है जहा ठीक से सफाई नहीं हो पाती। या फिर कई मामलों मे या पानी की टंकी मे सफाई नहीं होती तो इससे वहा मच्छरों का बसेरा हो जाता है। और मच्छरों से भी आपको कई तरह की बीमारी मिल सकती है, जैसे डेंगू, मलेरिया, टायफाइड, चिकन गूनीया, स्वाइन फ्लू, जैसी बीमारी।

तो इन बीमारियों से बचने के लिए स्वच्छता होना बहुत जरूरी है। घर पर स्वच्छता रहने से घर मे पाॅसीटीव एनर्जी आती है। तो घर पर स्वच्छता का विशेष ध्यान रखिए।

8. यात्रा पर सावधानी:

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जब भी घर से निकले तब स्वस्थ निर्देशकों का पालन करे, आपकी सतर्कता ही आपको बचा सकती है। किसी से हँड सेख ना करे, या सॅनीटायसर साथ मे रखे। चेहरे पर मास्क का ईस्तेमाल करे बोलते समय और सुनते समय भी लोगों से सामाजिक दूरी बनाए रखे, ज्यादा भीड़ भाड़ वालीं जगहों पर जाने से बचे।

इन कदमों का पालन करके, आप स्वाइन फ्लू के जोखिम को कम कर सकते हैं और अपने स्वास्थ्य की सुरक्षा कर सकते हैं।

निष्कर्ष:

स्वाइन फ्लू बीमारी आम तौर पर सुवरों से फैलने वाली बीमारी है, पर ये सिर्फ सुवरों तक ही सीमित नहीं, ये इंसानो मे भी बड़ी तेजी से बढ़ रही है। देखा जाए तो ये एक सीरीयस बीमारी है, पर अगर कुछ सावधानियां बरते तो इससे असैनिक असैनिक बचा जा सकता सकता है। और इस ब्लॉग मे मैने स्वाइन फ्लू से बचने के 8 तरीके बताये है, अगर आप इनका पालने करते है तो आप स्वाइन फ्लू से हमेशा बचते रहेंगे। मैं आशा कर्ता हू आपको ये ब्लॉग अछा लगा हो। और अगर आप अपने हेल्थ को लेकर हमेशा अपडेट रहना चाहते है तो आपका मेरी वेबसाइट पर स्वागत है, यहां मैं हेल्थ और पर्सनल केयर के ऊपर ब्लॉग्स बनता हू, जो आपको आपकी लाइफ बेहतर और बेहतर करने मे मदत करेगी। धन्यवाद

ज्यादा पूछे जाने वाले सवाल:

क्या स्वाइन फ्लू हानिकारक है ?

जी हाँ स्वाइन फ्लू हानिकारक हो सकता है अगर उसका सही समय पर इलाज ना देना कराया गया तो ये जानलेवा भी साबित हो सकती है। पर अगर सही इलाज करे और कुछ चीजों का खयाल रखे तो आप इससे बच सकते है।

स्वाइन फीवर क्या है?

ये बीमारी सूअरों से फैलती है और इस बीमारी मे उल्टी आना, साँस लेने मे तकलीफ होना, तेज बुखार आना ये सब चीजे होती है।

स्वाइन फ्लू के लिए क्या सावधानियां?

स्वाइन फ्लू से बचने के लिए आप मास्क लगाना शुरू करे, घर मे और बाहर भी। ज्यादा भीड़ वाली जगह पर ना जाए, पालतू जानवरों से दूर रहे, सामाजिक दूरी बनाए रखे, हाथ ना मिलाए ये सब सावधानी बरतने से आप स्वाइन फ्लू से बच सकते है।

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